• शुक्रबार १-२१-२०८१/Friday 05-03-2024
डबली

कोहरा

जिंदगी के अल्फ़ाज़ में
क्या नहीं ढूंढा हमने
आवाज देते रहे
मिला कुछ नहीं हमें

 

जवानी चली गई
बुढ़ापा छा गया
इस लंबे अरसे में
कुछ जो मिला था
वह भी खो दिए हमने

 

हमारे मसीहा कहते हैं
हमने किस्मत लिख दिया
मैंने देखा था बहुत पहले
उनका ही किस्मत
किसी और ने बना दिए थे

 

अजीब सा खेल है
इस प्राचीन नगरी में
कोहरा से ढका हुआ मैदान में
सब थपड़ी मार रहे हैं
 

प्रतिकृया दिनुहोस
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